हिन्दी कविता में कुछ ऐसे महान कवि हुए है, जिनकी रचनाएं हमें कभी नहीं भूलने देगीं। अपनी रचनाओं से इन्होंने सभी को एक सूत्र में बांधकर रखा और कविताओं के प्रति भाव विभोर कर दिया।
हिन्दी साहित्य के जोशीले और आसान भाषा में कविताएं देने वाले माखनलाल चतुर्वेदी जी ने 'प्रभा', 'कर्मवीर', और 'प्रताप' जैसी रचनाओं से साहित्य को योगदान दिया।
राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त ने अपनी कविताओं में खड़ी बोली का उपयोग करके हिन्दी साहित्य को 'साकेत' जैसी अमूर्त कृति दी।
आधुनिक छायावाद के प्रमुख कवियों में से एक, हरिवंशराय बच्चन ने 'मधुशाला' की मद्दद से अपनी पहचान बनाई।
छायावाद की महान कवयित्री महादेवी वर्मा ने 'दीपशिखा', 'हिमालय', और 'नीरजा' जैसी रचनाओं से साहित्य को वर्णनात्मक दर्शन दिए।
छायावाद के चार स्तंभों में से एक, सुमित्रानंदन पंत ने अपनी रचनाओं में प्राकृतिक सौंदर्य को छूने का प्रयास किया।
हिंदी साहित्य के छायावाद के चौथे स्तंभ, जयशंकर प्रसाद ने 'कामायनी' की मद्दद से अपने समय के महत्वपूर्ण कवि बने।
बंगाल में पैदा हुए, निराला ने अपनी रचनाओं में मशहूर बंगाली और हिंदी भाषा का मिश्रण किया।
राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर ने 'कुरुक्षेत्र' और 'परिमल' जैसी रचनाओं के माध्यम से हिन्दी साहित्य को एक नया आयाम दिया।
रहीम खान-ए-खाना ने अपनी रचनाओं में नैतिकता और भक्ति की भावना को उजागर किया।
हिन्दी साहित्य के महान संत कबीर ने निर्गुण भक्ति के सिद्धांत को अपनी कविताओं में प्रस्तुत किया और भक्ति साहित्य का महत्वपूर्ण हिस्सा बनाया।