वाराणसी, शिव की प्रिय नगरी, ललिता घाट पर एक मिनी नेपाल स्थित है।
यहाँ, जलासेन घाट के पास स्थित पशुपति नाथ मंदिर, नेपाली समुदाय के लिए धार्मिक महत्व का प्रतीक है।
इस मंदिर में नेपाल का आभास होता है, जो काशी में अपना महत्वपूर्ण स्थान बना चुका है।
पशुपति नाथ मंदिर, ललिता घाट पर, नेपाल के पशुपति नाथ मंदिर का अद्वितीय रूप है। इसका निर्माण नेपाली लकड़ी से हुआ है, जो इसे और भी आकर्षक बनाती है।
यहाँ का पूजा पाठ और प्रवासियों की सेवा भी नेपाली परंपरा के अनुसार होती है।
पशुपति नाथ मंदिर का निर्माण नेपाल के राजा राणा बहादुर शाह ने करवाया था, जो काशी में नेपाली स्थायी आवास में थे।
मंदिर के निर्माण में नेपाली कारीगरों ने अद्वितीय नक्काशी का उत्कृष्ट काम किया।
इस मंदिर को 'काठवाला मंदिर' भी कहा जाता है, क्योंकि इसका निर्माण लकड़ी से हुआ है।
यह मंदिर ललिता घाट के पास स्थित है, जहाँ अन्य महत्वपूर्ण मंदिर भी हैं।
इसकी नक्काशी और संरचना में खजुराहो के मंदिर का प्रभाव दिखाई देता है।
यहाँ का दरवाजा, भित्ती से लेकर छत तक, सभी लकड़ी से बनाया गया है, जिसमें नेपाली शिल्प की झलक दिखती है।
मंदिर के अंदर शिवलिंग स्थापित है, जिसे पशुपतिनाथ के रूप में पूजा जाता है।
यह मंदिर काशी में स्थित नेपाली समुदाय के लिए धार्मिक स्थल के रूप में महत्वपूर्ण है।
पशुपति नाथ मंदिर के बाहर एक बड़ा सा घण्टा भी है, जो नेपाल के मंदिरों की परंपरा को याद दिलाता है।
यह मंदिर सुबह के समय काशी के अन्य मंदिरों के साथ ही खुलता है और शाम को बंद होता है।