कोहिनूर हीरा, अपने आकार और सुंदरता के लिए दुनियाभर में प्रसिद्ध है।
भारत में इसे खोजने के बाद से ही, यह हीरा एक शासक से दूसरे के पास विस्तार से पहुंचा है, चाहे वह मुगल हों या फिर अफगानिस्तान।
यह ब्रिटेन के ताज में शामिल है, लेकिन इसके साथ एक श्राप से जुड़ी कहानी भी है।
कोहिनूर ने अपने मालिकों के बदलते समयों में साथ बदला है, लेकिन उससे जुड़े राजा-रानियों की मौजूदगी ने इसे एक रहस्यमय वस्तु बनाया है।
गोलकुंडा की खान से निकलकर यह शानदार हीरा मुगलों और अफगानों के बाद ब्रिटेन के पास आया।
सिख महाराजा रणजीत सिंह ने इसे फिर भारत वापस लाया, लेकिन अंग्रेजों के हाथ में चला गया।
कोहिनूर और श्राप की कहानियां लोगों को आकर्षित करती हैं और उन्हें इस रहस्यमय गहराई में ले जाती हैं।
कोहिनूर की यात्रा राजा से दूसरे राजा तक का संघर्ष है, जो उसकी विपरीत यात्रा में एक निरंतर रहस्य बनाए रखता है।
कई पुरातात्विक प्रमाणों के अनुसार, कोहिनूर के साथ श्राप के कई पुराने किस्से हैं, जिन्हें लोग आज भी महत्वपूर्ण मानते हैं।
अंग्रेजों और ताज में यह श्राप से जुड़े विवाद को समझते हुए, क्वीन कॉन्सोर्ट कैमिला ने ताज पहनने से परहेज किया, जिससे इसका आधुनिक विवाद बना हुआ है।